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रविवार, 13 दिसंबर 2020

पिनियल ग्लैड: सेक्स से भी बड़ा आनंद | pineal gland

 पिनियल ग्लैड: सेक्स से भी बड़ा आनंद | pineal gland

 

पिनियल के स्त्राव को यौगिक शब्दावली में अमृत कहा जाता है क्योंकि जब वो रिसने लगता है तो आपकी हर चीज मधुर और सुंदर हो जाती है सेक्सुअलिटी उसे सीमित नहीं करती बल्कि भौतिकता के साथ अत्यधिक पहचान उसे सीमित करती है अगर आप उसे बहुत महत्वपूर्ण बना देते हैं तो आप विकृति दिमाग के हो जाएंगा अगर आप उसे मिटाने की कोशिश करेंगे तो आपका दिमाग और भी विकृत हो जाएगा

पिनियल ग्लैड: सेक्स से भी बड़ा आनंद

आप जितना किसी चीज के बारे में ना सोचने की कोशिश करते हैं उतना ही आप उसके बारे में सोचने लगेगे| मन कि प्रकृति ही ऐसी है| तो कई वजह है कि कोई व्यक्ति सेक्स में लिप्त में होता है, कुछ के लिए वो सिर्फ सुख है, कुछ के लिए यह बंधन और सहचर्य को मजबूत करने का एक तरीका है, वरना लोग महसूस करते हैं कि एक दूसरे से दूर हो रहे हो| वो भले ही ठीक हो मगर बहुत से लोगों के दिमाग मे ये बसा होता है कि अगर वह सेक्सयूली सक्रिय नहीं है तो वह वास्तव में दूर हो रहे हैं| यह सच नहीं आप किसी से बहुत करीब हो सकते हैं और जरूरी नहीं है कि शारीरिक रूप से जुड़े हुए हो| मगर दिमाग में होता है, खासकर दुनिया के इस हिस्से में लोग बड़े पैमाने पर मानते हैं कि अगर सेक्सयूलिटी नहीं है तो वास्तव में आपका रिश्ता नहीं है| वास्तव में रिश्ता शब्द, मुझे ये समझने में थोड़ा समय लगा कि यहां अगर आप एक रिश्ता कहते हैं तो आपसे यह समझने की उम्मीद की जाती है कि ये एक सेक्स आधारित रिश्ता है बाकी कुछ रिश्ता नहीं है|

 अगर मेरा आपके साथ बहुत मजबूत रिश्ता हो सकता है और आपके शरीर से मेरा कोई संबंध नहीं हो सकता, मैं किसी भी तरह आपके शरीर के प्रति आकर्षित ना होते हुए भी आपके साथ बहुत मजबूत रिश्ता रख सकता हूं| मगर उन सभी संभावनाओं को पूरी तरह नकार दिया गया है| एक रिश्ते का मतलब है कि आपको किसी रूप में शारीरिक तौर पर शामिल होना है| पुरूष-स्त्री या पुरुष-पुरूष या स्त्री-स्त्री जो भी आप चाहे मुख्य रूप से यह शरीर पर आधारित है| किस तरह का शरीर यह व्यक्तिगत पसन्द है| मगर मुख्य रूप से यह शारीरिक आधार है| ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कही न कहीं शरीर के साथ हमारी पहचान, पहचान के सामान्य स्तरों के परे चली गईं हैं| यह शरीर के साथ अत्यधिक पहचान है इसलिए शरीर आधारित रिश्ते समाज के मूल बिंदु बन गए| जो अपने भौतिक शरीर से बहुत जुड़ा है वह स्वाभाविक रूप से सेक्स से प्रेरित है क्योंकि यही सर्वोच्च चीज है जो वह जानता है|

Pineal Gland

ऐसे तरीके है जिनसे आप कुछ ऐसा पा सकते है जो इससे कही अधिक बड़ा है| एक बार आप इससे बेहतर कुछ चख ले  फिर मुझे आपको बताना नहीं पड़ेगा इसे छोड़ दो या उसे छोड़ दो वो वैसे ही खत्म हो जाएगा| है ना? कुछ साधना की तरीके हैं जो सेक्सुअलिटी से अधिक तीव्र है, जो सेक्शुअलिटी से अधिक आनंदमय है| एक स्तर पर यदि आप इसे देखें, योग के सभी आयाम किसी ना किसी तरह आखिरकार पीनियल को सक्रिय करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि एक बार जब वो रिसने लगता है तो आपकी हर चीज मधुर और सुंदर हो जाती है| वो एक पूरा भीतरी सुख पैदा करता है जिससे सभी बाहरी सुख बच्चों की चीज की तरह लगने लगते हैं| यही वजह है कि योगी सिर्फ आंखें बंद करके बैठते हैं इसलिए नहीं कि वह सुख के खिलाफ है, वो छोटे सुखों के खिलाफ हैं |बस यही है|
तो शाम्भवी(Yoga) होती है ये पिनियल स्त्राव को बहुत हद तक उत्तेजित करती हैं| जिससे आप दिनभर एक तरह की मिठास में भीगे रहते हैं| यह आपको परमानंद और आनंद की एक स्थिति में छोड़ देती, क्योंकि पिनियल ग्लैड सक्रिय होता है| यह आपके शरीर विज्ञान का एक पहलू है जो आपकी चेतना के काफी करीब है| बाकी शरीर विज्ञान गुजर बसर के बारे में है| मगर पिनियल ग्लैड आपके शरीर विज्ञान का एक पहलू है, जो भौतिक से परे जाने के बहुत बहुत करीब है| योगिक परंपरा में इस मिठास को 'अमृत' या 'सुधा' या 'जीवनअमृत' कहा जाता है| अगर उसकी एक बूंद शरीर में आ जाए तो अचानक पूरा शरीर शीतल हो जाता है पूरे सिस्टम में चिकनाई आ जाती है| वो  आसानी से काम करता है| शरीर की हताशा चली जाती है मन की हताशा चली जाती है| अमृत का अर्थ है कि आपने अपना सुख पा लिया है| अगर आप अपने अंदर बहुत आनंदित है तो आपने अंदर अमृत पा लिया है| आप  सुखदता की चरम अवस्था में है| अब लोगों के साथ होना उनसे सूख निचोड़ने के लिए नहीं लोगों के साथ होना बस बस उनके साथ होना है| अब आप वास्तव में प्रेम करने लायक है, वरना वह सिर्फ एक खुल जा सिम सिम वाली चाल है| मैं तुमसे प्रेम करता हूं का मतलब है कि चाहे आप पर विश्वास हो या नहीं उस पल के  लिए वह आप पर विश्वास करते हैं क्योंकि उन्हें भी किसी चीज की जरूरत है आपको भी किसी चीज की जरूरत है| यह जैसे आप जानते हैं अली बाबा और 40 चोर खुल जा सिम सिम मतलब वो खुल जाता है| ये ऐसा ही है मैं तुमसे प्रेम करता हूं मतलब कई चीजें खुल जाती है| अब ऐसा करते हुए मैं यह नही कहता कि यह सही या गलत है| लोग अपना जीवन ऐसे ही चलाते हैं| इसमें कुछ नहीं है मगर ऐसा करते हुए आपके अंदर प्रेम की एक तीव्र भावना को जानने की संभावना नष्ट हो जाती है| आप लगातार यह देखते हैं कि मैं इस व्यक्ति से क्या पा सकता हूं, मैं उस व्यक्ति से क्या निकाल सकता हूं| यह एक ठग का काम है| इसे प्रेम सम्बन्ध कहा जाता है| लेकिन अगर आप अपने आप में बहुत आनंदित होते हैं, जब आप लोगों के साथ होते हैं तो यह आपका आनंद साझा करने की बात होती है इसका मकसद है कि अगर वह इससे अछूते हैं तो किसी तरह उन्हें इससे छुएं बजाय यह देखने के कि आप उनसे क्या निचोड़ सकते हैं| आपके जीवन की सारी बुनियाद बदल जाएगी|


क्या सेक्सयूलिटी अमृत रिसाव को सीमित करती है?

हां और नहीं|
 इस अर्थ में सेक्सुअलिटी उसे सीमित नहीं करती बल्कि भौतिक के साथ अत्यधिक पहचान उसे सीमित करती है| तो असल में यह सेक्शुअलिटी नहीं है जो बाधा बनती है, बल्कि वो भौतिकता  से जो जुड़ाव पैदा करती है वह निश्चित रूप से बाधा बन जाती है |यह सवाल उस गॉसिप से आया है जो आपने सुना है कि किस तरह आप अपने ही वीर्य को आत्मसात करके उसे अपनी उच्चतर संभावना तक उठा सकते हैं| हां यह सच है साथ ही कोई परहेज के कारण ऐसा नहीं करता| अपनी ऊर्जा को आंतरिक बनाते हुए आप ऐसा करते हैं| सिर्फ ऐसा नहीं है कि कोई सेक्स से दूर रहता है, और अचानक उसकी ऊर्जा संगठित होकर ऊपर बढ़ती है, यह सच नहीं है। अगर आपकी ऊर्जा संगठित होती है और बढ़ने लगती तो सेक्सयूलिटी की जरूरत आपके लिए खत्म हो सकती| मगर यह आपको असक्षम नही बनाती आपको नपुंसक नहीं बना देती मगर उसकी जरूरत खत्म हो जाती है।अब वो एक मजबूरी नहीं रह जाती|और सिर्फ यही चीज नहीं सारी बाधाएं खत्म हो जाती हैं| मुख्य रूप से अधिकांश सेक्सुअलिटी जो धरती पर है वह एक तरह की मजबूरी के कारण है| वह आदत से मजबूर होना है| जब आप चेतन हो जाते हैं तब सारी बाधाएं गायब हो जाती हैं| यह भी गायब हो जाती है|
 सिर्फ इसलिए क्योंकि लोग शरीर पर इतनी केंद्रित है वह हमेशा सोचते हैं, आध्यात्मिकता बनाम सेक्शुअलिटी| इनका कोई संबंध नहीं है| वह आपस में जुड़े नहीं है| एक शरीर का है दूसरा एक अलग आयाम है| यह सिर्फ इसलिए  है क्योंकि दुनिया के धर्म नैतिक स्कूल और नीतिवाद स्कूल हमेशा उसके खिलाफ होते हैं, इसलिए यह लोगों के मन में इतना बड़ा मुद्दा हो गया है| वह सोचते हैं कि परे के बारे में कुछ जानने का एकमात्र तरीका यह है कि आप इस से दूर रहें क्योंकि कहीं ना कहीं आप एक इंसान की सरल बायोलॉजी को समझ नहीं पाते| यह एक त्रासदी है कि आप साधारण बायलॉजी को स्वीकार नहीं कर सकते| आपको या तो उस का जश्न मनाना होता है या उसे नाली में फेंक देना होता  है| दोनों जरूरी नहीं है| आप उसकी सीमाओं को देख सकते हैं और उसकी संभावनाओं को देख सकते हैं|
 तो अगर सेक्स की अपवित्रता के कारण आपकी आध्यात्मिकता में बाधा पड़ रही है तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि आपका जन्म ही अपवित्र है| जब जन्म ही अपवित्र है तो आपके लिए संभावना कहां है| आपके लिए कोई संभावना नहीं| अगर आप कहीं और से गिरते अगर सारस आपको गिरा जाता तभी आप के आध्यात्मिक होने की कोई संभावना होती| अगर आपकी मां ने सामान्य रूप से जन्म दिया है तो आपके लिए कोई संभावना नहीं है।

 एक 6 साल की बच्ची 1 दिन स्कूल से घर लौटी और पूछा ममा में कैसे पैदा हुई थी? मां शर्मिंदा हो गई वह बोली एक सारस तुम्हें गिरा गया वह बोली- ठीक है |उसने लिख लिया|
 ममा आप कैसे पैदा हुई थी? मुझे भी एक सारस ने गिराया था|
 ममा नानी कैसे पैदा हुई थी? उन्हें भी 1 सारस ने गिराया था|
 फिर वह बच्ची गम्भीर हो गयी और वो नीचे जाकर बैठ गई और अपने होमवर्क में कुछ लिखना शुरू कर दिया |
माँ असहज महसूस कर रही थी| उसने खाना पकाना खत्म किया तब तक लड़की ने अपना होमवर्क पूरा कर लिया था,और किताब वहीं छोड़ दी थी|
 उसने पड़ा तो फैमिली ट्री के बारे में निबंध था।बच्ची ने लिखा था मेरे परिवार में 3 पीढ़ियों से किसी का भी जन्म कुदरती रूप से नहीं हुआ है|
तो मूर्खतापूर्ण विचारों के कारण हम या तो किसी चीज को बढ़ा चढ़ाकर कहते हैं, या अनावश्यक रूप से उसे दबाने की कोशिश करते हैं| इसकि आपके जीवन में भूमिका है| अगर आप इसे बहुत बड़ा बना देंगे तो आपका दिमाग विकृत हो जाएगा, अगर आप उसे मिटाने की कोशिश करेंगे तो आपका दिमाग और अधिक विकृत हो जाएगा| 

आखिरकार अब मैं लिख रहा हूं ये एक तरह की ऊर्जा है | आप ये पढ़ रहे हैं ये एक तरह की ऊर्जा है। ये एक ही जीवन ऊर्जा की अलग अलग अभिव्यक्ति है।अब सेक्सयूलिटी भी उस ऊर्जा की अलग अभिव्यक्ति है| ये  व्यक्ति को तय करना है, उसकी ऊर्जा की कितना हिस्सा वो किस दिशा में भेजना चाहता है| क्योंकि? आखिरकार आपकी उर्जा सीमित है। देखिये ये ऐसा है मान लीजिए आप की मासिक आय $5000 है| कितना घर के किराए के लिए, कितना खाने के लिए, कितना पढ़ाई के लिए, कितना सिर्फ मनोरंजन के लिए, कितना छुट्टियों के लिए आप बाँटते है। कल सुबह आपको तनख्वाह मिली शाम में आप बाहर गए और उसे उड़ा दिया| अब अगले महीने परेशानी हो जाएगी।हैं ना? 
अगर आप अपने जीवन को समझदारी से चला रहे हैं आपके जीवन में सब कुछ आपकी समझ, आपकी जरूरत, और आपकी क्षमता के अनुसार बांटा हुआ है,आपका पैसा, समय, ऊर्जा, जिस तरह आप उस का प्रबंध करना चाहते हैं|
 यह भी वही चीज है कितना होना चाहिए| पहले तो, क्या आपको उसकी जरूरत है? आप उसे कर रहे हैं क्योंकि आप सामाजिक रूप से बाध्य हैं? अगर जरूरत है और मैं आपको उसे रोकने के लिए कहता हूं तो आप विकृत हो जाएंगे क्योंकि वह सब आपके दिमाग में होगा| अगर कोई आपको कह रहा है तुम्हें करना है अगर तुम ऐसे नहीं करोगे तो तुम नॉर्मल नहीं हो, तो दूसरी तरह की विकृति आएगी| दोनों जरूरी नहीं आखिरकार अब आप किसी पुरुष/स्त्री के पीछे नहीं जा रहे| आप सुखदता के एक स्तर के पीछे जा रहे हैं| एक बार आप एक स्तर की सुखदता का अनुभव कर लेते हैं, तो क्या आप इसमें और गहराई तक नहीं जाना चाहेंगे? क्योंकि जो भी सुखदता घटित हुई शायद आपने दूसरे व्यक्ति का इस्तेमाल किया है मगर सुखदता आपके भीतर घटित हुई।सही है? तो मान लीजिए वैसे भी सुखद आपके भीतर घटित हो रही है, दूसरा व्यक्ति उसे खोलने की बस एक चाबी है। क्या आप नहीं चाहेंगे की चाबी आपके हाथ में ही हो? कि अगर आप आराम से बैठे आप पूरी तरह ऑन हों। आपको किसी की जरूरत नहीं है|
 देखिए कोई चीज आपके जीवन में कोई चीज चाहे सुख के लिए हो पैसे,प्रेम, ये,वो चाहे किसी भी चीज के लिए  आप दूसरे व्यक्ति पर निर्भर हो जाते हैं| इस धरती पर कोई भी वास्तव में भरोसे लायक नहीं है।लोग हमेशा शिकायत करते हैं| खासतौर पर महिलाएं कि उनके पति बहुत ही शरीर केंद्रित है, कुछ महिलाएं लगातार शिकायत करती हैं वो तो उंगली भी नहीं उठाता| जो भी होता है वही समस्या है, क्योंकि वह कभी उस तरह नहीं होगा जैसे आप चाहते हैं जब तक दूसरा व्यक्ति शामिल है| कुछ भी 100% आपकी मर्जी से नहीं होगा। हां या ना ? वह कभी नहीं होगा इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप भगवान से शादी कर ले फिर भी ऐसा नहीं होगा जब तक आप के अस्तित्व का तरीका सुख और खुशी की आपकी भावना दूसरे व्यक्ति पर निर्भर है |आपको हमेशा शिकायत रहेगी| कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरा व्यक्ति कितना शानदार है|
 तो इस संदर्भ में लोगों ने ब्रह्मचर्य की बात की होगी क्योंकि, उन्होंने कहा थोड़ा विराम दो| क्योंकि किसी से सुख निकालने के लिए आपको कहीं चालें चलने पड़ते हैं| वह आराम से नहीं हो जाता। उसमें काफी समय, प्रयास, पूजा,और तमाम दूसरी चीजें लगती हैं| निराशाएँ इर्ष्याये, समस्याएं सब कुछ उस से जुड़ा होता है| तो किसी ने कहा उन चीजों से थोड़ा दूर रह कर देखो कि क्या इसे आंतरिक रूप से पैदा किया जा सकता है| 
 फिर लोगों के साथ रहना आपके प्रेम के कारण अधिक होगा आपकी जरूरतों के कारण नहीं जो निश्चित रूप से लोगों के साथ रहने का एक बेहतर तरीका है।है ना? यह निश्चित रूप से दूसरे इंसान को सम्मान देने का बेहतर तरीका है। है कि नहीं?  
इस पर थोड़ा ध्यान दीजिए उस पर और उस पर और उस पर ध्यान देने के बजाय इस पर थोड़ा अधिक ध्यान दीजिए| जितना आनंद कोई दूसरा आपके लिए पैदा करेगा यह उससे कहीं ज्यादा आनंद पैदा कर सकता है

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